हमराही

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Tuesday, January 7, 2014

यादों का वो इक सफ़र है नाम दे गया

जाने वाला साल सब सुख चैन ले गया 
नयनों में है नीर दिल में दर्द दे गया /

क्या मनाएं साल उस बिन अब लगे न दिल 
एक झटके में सभी अरमान ले गया /

मुस्कराएँ हम क्या तेरे बिन ओ साथी अब
खुशिओं का तू सारा ही सामान ले गया /

उसकी हर आहट का होता है मुझे गुमाँ
खुद को समझायें क्या वो संसार से गया /

याद आती उसकी है अब रात रात भर 
यादों का वो इक सफ़र है नाम दे गया /

काटना है अब अकेले उस बिना सफ़र 
जिन्दगी भर का गमे पैगाम दे गया /
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