चैत्र मास की प्रतिपदा, हर्षित बहुत कृषाण
नवसंवत्सर के दिवस, हुआ सृष्टि निर्माण |
आप गुड़ी पड़वा कहो ,या हिन्दू नववर्ष
बसंत के नवरात्रि हैं, भरें ह्रदय उल्लास
विक्रमी संवत है नई, शक संवत भी आज
दयानंद जी ने रचा, इस दिन आर्य समाज |
उपासना माँ की सभी, करें आज प्रारंभ
नवरात्रि के आगाज से, मिटते सारे दंभ |
बर्फ लगी है पिघलने, बौराये हैं आम
रातें घटने हैं लगी, दिन में होता काम |
नव संवत पर संघ भी, सदा निभाए रीत
जन्म हेडगेवार का, संग मनाए प्रीत |
नव सरंचना के लिए, कुदरत है तैयार
छोड़ आलस्य को बही, चेतन भरी बयार |
नवसंवत्सर अब नया, लाये आशीर्वाद
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