21.
मुझे सवेरे मिलता आ के
सांझ ढले दूजा घर ताके
फिरे फरेबी दिन भर तनकर
ऐ सखि साजन ?
ना सखि दिनकर
22.
जीवन सफ़र है उसके संग
वो दिखाए दुनिया के रंग
समझ ना पाती उसके खेल
ऐ सखि साजन ?
नहीं सखि रेल
23.
उसके आते आई बहार
पेड़ों ने कर लिया शृंगार
मुझको मिलता लेकर दाम
ऐ सखि साजन ?
ना सखि आम
24.
सामने आए करता शोर
उस संग नाचे मन का मोर
आए करे अँधेरा पागल
ऐ सखि साजन ?
ना सखि बादल
25.
बिना उसके शादी अधूरी
उससे होती आशा पूरी
मीठे लगते उसके बोल
ऐ सखि साजन ?
नहीं सखि ढोल
26.
यह जग उस संग शीतल छाया
अंग लगा उसने समझाया
होती मैं भी उस बिन पागल
ऐ सखि साजन?
ना सखि गागल
27.
प्रेम बांटता प्रेम दिखाता
सुख दुख में है साथ निभाता
देखके उसको धड़के जिया
ऐ सखि साजन ?
नहीं डाकिया
28.
इसमें बसी है सबकी जान
केवल वो है सबकी शान
उस बिन रिश्ता झूठा भैया
ऐ सखि साजन ?
नहीं रुपैया
29.
सत्य अहिंसा को अपनाया
खुद को विजयी कर दिखलाया
कहलाया वो तब शूरवीर
ऐ सखि साजन ?
ना महावीर [जैन सस्थापक ]
30.
देखके उसको हुई शौदाई
झूम झूम के ख़ुशी मनाई
आये आँगन जैसे पाखी
ऐ सखि साजन ?
ना बैसाखी
क्रमशः...
मुझे सवेरे मिलता आ के
सांझ ढले दूजा घर ताके
फिरे फरेबी दिन भर तनकर
ऐ सखि साजन ?
ना सखि दिनकर
22.
जीवन सफ़र है उसके संग
वो दिखाए दुनिया के रंग
समझ ना पाती उसके खेल
ऐ सखि साजन ?
नहीं सखि रेल
23.
उसके आते आई बहार
पेड़ों ने कर लिया शृंगार
मुझको मिलता लेकर दाम
ऐ सखि साजन ?
ना सखि आम
24.
सामने आए करता शोर
उस संग नाचे मन का मोर
आए करे अँधेरा पागल
ऐ सखि साजन ?
ना सखि बादल
25.
बिना उसके शादी अधूरी
उससे होती आशा पूरी
मीठे लगते उसके बोल
ऐ सखि साजन ?
नहीं सखि ढोल
26.
यह जग उस संग शीतल छाया
अंग लगा उसने समझाया
होती मैं भी उस बिन पागल
ऐ सखि साजन?
ना सखि गागल
27.
प्रेम बांटता प्रेम दिखाता
सुख दुख में है साथ निभाता
देखके उसको धड़के जिया
ऐ सखि साजन ?
नहीं डाकिया
28.
इसमें बसी है सबकी जान
केवल वो है सबकी शान
उस बिन रिश्ता झूठा भैया
ऐ सखि साजन ?
नहीं रुपैया
29.
सत्य अहिंसा को अपनाया
खुद को विजयी कर दिखलाया
कहलाया वो तब शूरवीर
ऐ सखि साजन ?
ना महावीर [जैन सस्थापक ]
30.
देखके उसको हुई शौदाई
झूम झूम के ख़ुशी मनाई
आये आँगन जैसे पाखी
ऐ सखि साजन ?
ना बैसाखी
क्रमशः...