हमराही

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Tuesday, April 22, 2014

कह मुकरियां 21.से 30.

21.   
मुझे सवेरे मिलता आ के 
सांझ ढले दूजा घर ताके  
फिरे फरेबी दिन भर तनकर        
 सखि साजन ? 
ना सखि दिनकर 
22.
जीवन सफ़र है उसके संग 
वो दिखाए दुनिया के रंग  
समझ ना पाती उसके खेल  
 सखि साजन ? 
नहीं सखि रेल 
23.
उसके आते आई बहार 
पेड़ों ने कर लिया शृंगार 
मुझको मिलता लेकर दाम 
 सखि साजन ? 
ना सखि आम  
24.
सामने आए करता शोर 
उस संग नाचे मन का मोर 
आए करे अँधेरा पागल
ऐ सखि साजन ? 
ना सखि बादल   
25.
बिना उसके शादी अधूरी 
उससे होती आशा पूरी 
मीठे लगते उसके बोल 
ऐ सखि साजन ?
नहीं सखि ढोल 
26.
यह जग उस संग शीतल छाया
अंग लगा उसने समझाया
होती मैं भी उस बिन पागल 
ऐ सखि साजन?
ना सखि गागल 
27.
प्रेम बांटता प्रेम दिखाता 
सुख दुख में है साथ निभाता 
देखके उसको धड़के जिया 
 सखि साजन ?
नहीं डाकिया 
28.
इसमें बसी है सबकी जान 
केवल वो है सबकी शान  
उस बिन रिश्ता झूठा भैया 
 सखि साजन ?
नहीं रुपैया
 29.
सत्य अहिंसा को अपनाया 
खुद को विजयी कर दिखलाया  
कहलाया वो तब शूरवीर 
 सखि साजन ?
ना महावीर [जैन सस्थापक ]
30.
देखके उसको हुई शौदाई 
झूम झूम के ख़ुशी मनाई 
आये आँगन जैसे पाखी 
 सखि साजन ?
ना बैसाखी 

क्रमशः...
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