31.
पर्दूषण उसको ना भाये
तन लागे शीतल कर जाये
कहते सभी उसे विदेसी
क्या सखि साजन ?
ना सखि ऐ सी
32.
दुनिया में वो सबसे न्यारा
मैंने सब कुछ उस पर वारा
उसके संग है मेरी आन
क्या सखि साजन ?
न हिन्दुस्तान
33.
उसके बिन नीरस है जीना
हर रिश्ते का वही नगीना
ह्रदय में बसता बनकर यार
क्या सखि साजन ?
ना री प्यार
34.
उसके बिन रिश्ता है झूठा
ढोंग जरा ना लगे अनूठा
कह पागल या योगी रमता
क्या सखि साजन ?
ना सखि ममता
35.
उसे निहारूं दिन से रात
करता सदा ही सच्ची बात
उसको जीवन सारा अर्पण
क्या सखि साजन ?
ना री दर्पण
36.
गोद में मुझको जब बिठाये
सपनों का संसार दिखाये
दूर रह दीदार को तरसी
क्या सखि साजन ?
ना री कुर्सी
37.
बैठे बैठे जगत घुमाये
हर दुविधा को दूर हटाये
दिन भर करती उसका जाप
क्या सखि ईश्वर ?
ना लैपटाप
38.
सांस का लेखा उसके संग
जीवन में न उस बिन रंग
महकाये मेरा हर कण कण
क्या सखि साजन ?
ना सखि धड़कन
39.
सुबह सवेरे पास बुलाये
दुनिया के सब राज बताये
उसका करती मैं इंतज़ार
क्या सखि साजन ?
नहीं अखबार
40.
मीठी लगती उसकी बात
साथ वो चिपके दिन औ रात
सदा बोल वो बोले सच्चा
क्यों सखि साजन ?
ना सखि बच्चा
क्रमशः.....
पर्दूषण उसको ना भाये
तन लागे शीतल कर जाये
कहते सभी उसे विदेसी
क्या सखि साजन ?
ना सखि ऐ सी
32.
दुनिया में वो सबसे न्यारा
मैंने सब कुछ उस पर वारा
उसके संग है मेरी आन
क्या सखि साजन ?
न हिन्दुस्तान
33.
उसके बिन नीरस है जीना
हर रिश्ते का वही नगीना
ह्रदय में बसता बनकर यार
क्या सखि साजन ?
ना री प्यार
34.
उसके बिन रिश्ता है झूठा
ढोंग जरा ना लगे अनूठा
कह पागल या योगी रमता
क्या सखि साजन ?
ना सखि ममता
35.
उसे निहारूं दिन से रात
करता सदा ही सच्ची बात
उसको जीवन सारा अर्पण
क्या सखि साजन ?
ना री दर्पण
36.
गोद में मुझको जब बिठाये
सपनों का संसार दिखाये
दूर रह दीदार को तरसी
क्या सखि साजन ?
ना री कुर्सी
37.
बैठे बैठे जगत घुमाये
हर दुविधा को दूर हटाये
दिन भर करती उसका जाप
क्या सखि ईश्वर ?
ना लैपटाप
38.
सांस का लेखा उसके संग
जीवन में न उस बिन रंग
महकाये मेरा हर कण कण
क्या सखि साजन ?
ना सखि धड़कन
39.
सुबह सवेरे पास बुलाये
दुनिया के सब राज बताये
उसका करती मैं इंतज़ार
क्या सखि साजन ?
नहीं अखबार
40.
मीठी लगती उसकी बात
साथ वो चिपके दिन औ रात
सदा बोल वो बोले सच्चा
क्यों सखि साजन ?
ना सखि बच्चा
क्रमशः.....