आहत हुआ ज्यों , देश अपने , का है स्वाभिमान
टूटे हैं ख़्वाब , संग आँसूं , बह गए अरमान
भ्रष्टतंत्र अगर, ख़त्म हो जो, देश का हो मान
अब है कामना , देश अपना ,विश्व की हो शान
लोकतंत्र पर्व ,आज जनता ,की बना आवाज
वोटर बनो तुम ,आज सशक्त, करो शुभ आगाज
नेता जो भ्रष्ट ,आज खोलो ,उन सभी के राज
चैन अमन ख़ुशी , देश में हो ,तभी मिले सुराज
दुष्ट भ्रष्ट सभी ,जेल भेजो ,बाँटते जो नोट
एक विकास के, नाम से जब, आज माँगा वोट
पूर्ण विकास कर ,ला सुशासन ,देना इक सौगात
कमल नया खिला ,ही रहे अब ,करना नेक बात