आओ मिलजुल देश सँवारें
हर पल हर दिन इसे निखारें
इस बगिया के हम सब फूल
सुनो नहीं तुम जाना भूल
प्रेम से मिलकर समय गुजारें
भेदभाव ना तुम अब जानो
सबको भाई अपना मानो
एक माली सा उन्हें निहारें
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई
आपस में सब भाई भाई
अत्याचारी को ललकारें
नेता बन गए हुए महान
सो गए अब तो लम्बी तान
ऐसे नेता को दुत्कारें
राम कृष्ण की करो पहचान
यह दोनों हैं हिन्द की शान
रावण कंस सभी को मारें
प्रेम की बहे अविरल धारा
सौंप देश को जीवन सारा
मन को जीत अहम को हारें