हमराही

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Sunday, June 22, 2014

वजूद

मैं मैं ही रही 
तुम तुम ही रहे
अपने अपने वजूद में सिमटे हुए 
काश
मैं और तुम हम हो जाते 
अपना वजूद 
इक दूजे में खो पाते 
दो देह ,एक रूह से नजर आते 
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