कभी कभी लेटे लेटे उठकर बैठ जाती
क्योंकि ठिठुरने लगती मैं अचानक
तो सोचती
वो ऐसा क्यों हो ?
वो भी तो ध्यान रख सकता है मेरा
जैसे मैं अहसास कर लेती हूँ
जब भी सोये सोये लगता मुझे
वो ठिठुर रहा है
ओढाती उसे चादर
वो जब पढ़ते पढ़ते सो जाता
उतारती उसका चश्मा
रख देती कहीं सुरक्षित जगह
समेटती उसका सामान
बिना कोई शोर किये
ताकि वो सो सके आराम से
फिर लगता मुझे
अंतर है उसकी और मेरी प्रीत में
क्योंकि वो बेटा है
जो सीख रहा है अपनी जिम्मेदारी
और मैं माँ हूँ
जिसे अपनी जिम्मेदारी का अहसास है
क्योंकि ठिठुरने लगती मैं अचानक
तो सोचती
वो ऐसा क्यों हो ?
वो भी तो ध्यान रख सकता है मेरा
जैसे मैं अहसास कर लेती हूँ
जब भी सोये सोये लगता मुझे
वो ठिठुर रहा है
ओढाती उसे चादर
वो जब पढ़ते पढ़ते सो जाता
उतारती उसका चश्मा
रख देती कहीं सुरक्षित जगह
समेटती उसका सामान
बिना कोई शोर किये
ताकि वो सो सके आराम से
फिर लगता मुझे
अंतर है उसकी और मेरी प्रीत में
क्योंकि वो बेटा है
जो सीख रहा है अपनी जिम्मेदारी
और मैं माँ हूँ
जिसे अपनी जिम्मेदारी का अहसास है