हमराही

सुस्वागतम ! अपना बहुमूल्य समय निकाल कर अपनी राय अवश्य रखें पक्ष में या विपक्ष में ,धन्यवाद !!!!

Sunday, April 5, 2015

सुलझाऊँगा तेरी जुल्फें

तेरा यह कहना 
''संवारुंगा तेरी तकदीर ...
फुर्सत मिली 
तो
सुलझाऊगा तेरी जुल्फें 
एक दिन 
अभी उलझा हूँ मैं 
वक्त को जरा सुलझाने में |"
मुझ पागल को देखो 
तबसे ही हूँ इंतज़ार में 
अनसुलझी जुल्फें लिए 
जो हो गई हैं बेतरतीब 
मेरी तकदीर की मानिंद 
संवरने के लिए बेताब 
तेरे हाथों 
मेरे बुद्दूराम
जबकि 
पता है मुझे 
ख़त्म नहीं होती कभी 
इंतज़ार की घड़ियाँ 
.................................
जब तक साँस तब तक आस 

Post A Comment Using..

No comments :