मुँह मुझसे मोड़ कर
आज जिस मोड़ पर
चल दिए हो छोड़कर
जायें तो कहाँ जायें
सिलसिला यह तोड़कर
देखा जो सपना
हुआ नहीं अपना
रास्ते यूँ मोड़कर
जायें तो कहाँ जायें
सिलसिला यह तोड़कर
प्यार सच्चा जानकर
तुम्हे अपना मानकर
यादों को जोड़कर
जाएँ तो कहाँ जायें
सिलसिला यह तोड़कर
किस्मत जो रूठी
ख्वाहिशें सब टूटी
माँझी गया छोड़कर
जायें तो कहाँ जायें
सिलसिला यह तोड़कर
छूटा जब सहारा
दूर था किनारा
जीवन नैया मोड़कर
जायें तो कहाँ जायें
सिलसिला यह तोड़कर
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यूंहीं चलता रहे सिलसिला यह प्यार का
4अगस्त 2015, 3.30pm