तुम आये थे
दस्तक दी थी
मेरे दिल के दरवाजे पर
कैद थी मैं
खुद के बनाये उसूलों में
जिम्मेदारियों की बंदिशों में
खुल ना पाया मुझसे
ख्वाहिशों का किवाड़
सुना ना पाई तुझे
अधूरी गुजारिशें
गुजर गया
वो ख्वाबों का कारवां
आज फिर से
खड़ी हूँ
दोराहे पर
इंतज़ार में
किसी दस्तक के
मैं और मेरी तन्हाई .....
दस्तक दी थी
मेरे दिल के दरवाजे पर
कैद थी मैं
खुद के बनाये उसूलों में
जिम्मेदारियों की बंदिशों में
खुल ना पाया मुझसे
ख्वाहिशों का किवाड़
सुना ना पाई तुझे
अधूरी गुजारिशें
गुजर गया
वो ख्वाबों का कारवां
आज फिर से
खड़ी हूँ
दोराहे पर
इंतज़ार में
किसी दस्तक के
मैं और मेरी तन्हाई .....