हमराही

सुस्वागतम ! अपना बहुमूल्य समय निकाल कर अपनी राय अवश्य रखें पक्ष में या विपक्ष में ,धन्यवाद !!!!

Tuesday, June 21, 2016

जो हम तुम मिले थे [ गजल ]


वो गुजरा जमाना जो हम तुम मिले थे 

है बीता फ़साना जो हम तुम मिले थे|

बदलना अँगूठी को इक दूसरे से 
वो दिन था सुहाना जो हम तुम मिले थे|


बिना तेरे सूने हैं दिन और रातें
न भूले जमाना जो हम तुम मिले थे|
वो करवे की थाली वो श्रृंगार सोलह
वो गजरा लगाना जो हम तुम मिले थे|

वो बिस्तर वो तकिया वो पायल है गुमसुम
सभी देते ताना जो हम तुम मिले थे |

जिये संग सरिता ने अनमोल लम्हे 
न आये भुलाना  जो हम तुम मिले थे|
.... 21 जून,2016.
Post A Comment Using..

No comments :