बरखा छम छम आ गई ,लेकर सुखद फुहार
सावन के झूले पड़े ,कोयल करे पुकार
कोयल करे पुकार ,सबहीं का चित चुराए
मीठे मीठे आम ,सभी के मन को भाए
सखि ना झूला सोहि , ना ही चले अब चरखा
कोयल करे पुकार ,सबहीं का चित चुराए
मीठे मीठे आम ,सभी के मन को भाए
सखि ना झूला सोहि , ना ही चले अब चरखा
आए अभी सजन न, आ गई है रुत बरखा
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