काहे करे अभिमान ओ बन्दे
रह जायेंगे यहीं सब धन्धे
क्या लाया था ?क्या ले जाना ?
माटी संग माटी हो जाना
महिमा उस प्रभु की जान
कर्म से बना अपनी पहचान
कुदरत का तू मत कर दोहन
रोक कटाव लगा कर रोहन
नहीं तो पीछे पछताएगा
सब कुछ खोकर क्या पाएगा
कुदरत का कानून मान ले
यहीं मिले इन्साफ जान ले
रोहन .... एक तरह का वृक्ष