हमें न रोक सकी है करीब आने से
ये दुनिया साजिशें रचती रही ज़माने से /
कई है जिंदगियां मिटने को चले आओ
खुलेगी आज ये किस्मत तो तेरे आने से /
मिटा गरीब का है आशियाँ सदा के लिए
बना है मॉल सभी बस्तियां हटाने से /
हुआ है आज अँधेरा बुझी बसी बस्ती
इक आफ़ताब के बेवक्त डूब जाने से /
बसा दो सरिता अगर तो दुआएं मिलें
हटा दो आज अँधेरा दिया जलाने से //
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