जब से श्वासों का फिर से न आना हुआ
ख़त्म जीवन का तब से तराना हुआ /
इस कदर चाहता मेरा दिल है तुझे
हार कर तेरा ही अब खजाना हुआ /
भूल कर बेवफ़ा हो गया अजनबी
जब से गैरों के घर आना जाना हुआ /
जो किया सामना है दुखों का अभी
यूँ लगे मुस्कराये जमाना हुआ /
तोड़ना अब न विश्वास तुम फिर कभी
दिल हमारा है सबका निशाना हुआ /
बेटियाँ हो विदा मायके से गईं
पति का घर भी न लेकिन ठिकाना हुआ /
जोड़ता यूँ है किसके लिए आदमी
खाली ही हाथ जग से रवाना हुआ /
. ..............सरिता