नश्वर है जिंदगानी खजाना तो है नहीं
इसको यूँ दाग यार लगाना तो है नहीं |
आई हूँ इस सराय मुसाफिर हूँ दोस्तो
अपना भी इस जहां में ठिकाना तो है नहीं |
यूँ प्यार से तो माँग लो जान भी मगर
गुस्सा हमें तू यार दिखाना तो है नहीं |
आशिक नही जहान में सच्चा कहें जिसे
कैसे कहें ह्रदय उसे जाना तो है नहीं |
वादा किया था उसने न छोड़ेंगे साथ हम
थामा है गैर हाथ बताना तो है नहीं |
बस बांटना है प्यार हमें कुल जहान में
अपना भी कोई ख़ास निशाना तो है नहीं |
हर रोज हैं इमारतें बनती यहाँ वहाँ
उजड़ा जो आशियाना बनाना तो है नहीं |
भाषण हुए हैं खास कुपोषण के नाम पे
घर में गरीब के पका खाना तो है नहीं |