1.
बढ़ रही हैं आशाएँ
अनजानी
पहचानी
रूहानी
ग्लोबल वार्मिंग की मानिंद
सिमट रही हैं खुशियाँ
तेरी
मेरी
अपनों की
ग्लेशियर की मानिंद
.................................
बढ़ रही हैं आशाएँ
अनजानी
पहचानी
रूहानी
ग्लोबल वार्मिंग की मानिंद
सिमट रही हैं खुशियाँ
तेरी
मेरी
अपनों की
ग्लेशियर की मानिंद
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