जब जब हुई तैयार
उड़ान भरने को
बाँधी गई
सामाजिक बंधनों में कभी
रिश्तों के ताने बाने में कभी
चढ़ाई गई अरमानों की बलि
काट डाले इस समाज ने पर
दे कर एक अजीब कशमकश
खड़े कर कुछ अनसुलझे सवाल
दे गया कोई चुनौती
फिर से
स्वछन्द विचरती
निश्चल बहती
सरिता के अस्तित्व को
.........................................
उड़ान भरने को
बाँधी गई
सामाजिक बंधनों में कभी
रिश्तों के ताने बाने में कभी
चढ़ाई गई अरमानों की बलि
काट डाले इस समाज ने पर
दे कर एक अजीब कशमकश
खड़े कर कुछ अनसुलझे सवाल
दे गया कोई चुनौती
फिर से
स्वछन्द विचरती
निश्चल बहती
सरिता के अस्तित्व को
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