नाना नानी पूछते, बेटी कैसे बाल |
गर्मी की छुट्टी हुई ,पहुँच गए ननिहाल ||
पहुँच गए ननिहाल ,रहे नाती या नाता
सभी किताबें छोड़ ,खेल कूद सदा भाता
मामा मामी देख ,करें वो आनाकानी
बच्चों पर सब वार, हुए खुश नाना नानी ।।
गर्मी की छुट्टी हुई , बच्चे हुए निहाल
बच्चे औ' माता पिता ,खुश रहते हर हाल ।
खुश रहते हर हाल ,लगे गाली भी प्यारी
बचपन की मुस्कान ,सभी को लगती न्यारी
सबसे मिलते रोज ,नहीं करें कभी कुट्टी
चले घूमने देश ,हुई गर्मी की छुट्टी ।।
गरमी की छुट्टी मिली ,जाना कहाँ सवाल
बच्चे औ' माता पिता , पहुँचे नैनीताल ।
पहुँचे नैनीताल ,वहाँ का मौसम ठंडा
कुछ दिन का आराम ,समझ ना आये फंडा
उठी घटा घनघोर ,हुई पारे में नरमी
लौटे अपने गेह ,वही है फिर से गरमी ।।
*****