हमराही

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Sunday, June 14, 2015

पिता [दोहावली]

अगर  लुटाया मात ने ,हद से ज्यादा प्यार  
पिता सदा चुपचाप ही ,करते रहे  दुलार ||
अर्थ सिखाया आपने ,तुतलाते थे बोल
सीखा हमने आपसे ,अच्छाई का मोल ||


बैठ कंधे पर तात के ,देखा सब संसार 
समझा उनकी सीख से ,सब जग का व्यवहार ||  
चलना सीखा आपसे ,उँगली पकड़े तात 
जीता सारा ही जगत ,दी असत्य को मात ||
अन्दर से वो हैं नरम, ऊपर से कठोर
देख पिता को सामने ,नाचे मन का मोर ||
माँ के माथे की बिंदिया, माँ का वो विश्वास
साथ निभाया आपने ,दिया सबल अहसास ||
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