मुद्दतों बाद
कल रात
बुलंदियों को छूती
खिलखिलाती
चहचहाती
एक शख्शियत से
मुलाकात हो गई
जो
खो गई थी कहीं
गुमनाम राहों में
जब
आइना बना जुबाँ
कर गया बयाँ
मेरी मुस्कराहटों की दास्ताँ
.....................................................
खुद से खुद का मिलन खुशगवार था
कल रात
बुलंदियों को छूती
खिलखिलाती
चहचहाती
एक शख्शियत से
मुलाकात हो गई
जो
खो गई थी कहीं
गुमनाम राहों में
जब
आइना बना जुबाँ
कर गया बयाँ
मेरी मुस्कराहटों की दास्ताँ
.....................................................
खुद से खुद का मिलन खुशगवार था