आओ फिर से अजनबी बन जायें हम दोनों
दो अजनबी दोस्त fb के
एक तुम जैसा... एक मुझ जैसा...
फिर से जाने कुछ अनछुये पहलु
कुछ मेरे तुम...कुछ तेरे मैं...
बाँटे सुख दुःख को मिलकर
कुछ मेरे तुम...कुछ तेरे मैं...
बन जायें हर बात में सलाहकार
कुछ मेरे तुम...कुछ तेरी मैं...
बन जाओ फिर से प्राथिमिकता
कुछ मेरी तुम...कुछ तेरी मैं...
हों एक कॉल की दूरी पर
हाँ मेरी तुम... हाँ तेरी मैं...
क्या किया सयाने होकर के
कुछ मैंने खोया... कुछ तुमने खोया...
आओ दिल को समझें फिर से
कुछ तुम जैसा...कुछ मुझ जैसा....
दें मिसाल अपनी दोस्ती की
कुछ मेरी तुम...कुछ तेरी मैं...
फिर से भूलें वो नाराजगी
कुछ मेरी तुम...कुछ तेरी मैं...
सुन लें अब कुछ अनकही
कुछ मेरी तुम...कुछ तेरी मैं...
एक आत्मा फिर बन जायें अब
हाँ मेरी तुम...हाँ तेरी मैं...
बन जायें अजनबी दोस्त फिर
एक तुम जैसा..एक मुझ जैसा...
हां चाहिए फिर से दोस्त वही
एक तुम जैसा ...एक मुझ जैसा
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