भीगा भीगा है समय,पहली है बरसात।
मानसून लो आ गया ,भीगे हैं जज्बात।।
सारी धरती खिल उठी ,खुश है आज विशेष
मानसून लो आ गया ,भीगे हैं जज्बात।।
सारी धरती खिल उठी ,खुश है आज विशेष
सावन की बौछार से ,रहा नहीं दुख शेष ||
चमक दामिनी देखती ,धरती का क्या हाल
सूखा कुछ अब ना रहा , बरखा किया निहाल ||
अन्नदाता किसान के, नैनों में थी पीर
माल पुए के संग में ,बनी आज है खीर ||
आया सावन झूम के, नम है आज बयार
धरती का आँचल खिला,मिला उसे विस्तार ||
सावन देखो आ गया, लेकर शीतल भोर |
आँचल वसुधा का खिला ,हरियाली चहुँ ओर||
6अगस्त, 2016.
आया सावन झूम के, नम है आज बयार
धरती का आँचल खिला,मिला उसे विस्तार ||
सावन देखो आ गया, लेकर शीतल भोर |
आँचल वसुधा का खिला ,हरियाली चहुँ ओर||
6अगस्त, 2016.