हमराही

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Friday, July 29, 2016

सूखा आषाढ़ दोहे

ईश्वर की लीला अगम , कैसा यह आषाढ़ 
सूखा देखा है कहीं, और कहीं है बाढ़ |१|

सूखा बीता जेठ है, सूखा है आषाढ़ 
हलधर चाहे मेघ से ,रहम नेह की बाढ़ |२|

मेघा दिखते ना कहीं, तक तक सूखे नैन 
सूरज छुप जा तू कहीं, मिले ह्रदय को चैन |३|

हरियाली गायब हुई , गायब है बौछार 
मोर नहीं है नाचता, कृषक बैठा हार |४|

छलनी सीना जेठ ने ,किया धरा को चीर  
भूमिपुत्र है सोचता, कौन हरेगा पीर |५|

सोंधी सोंधी महक से, माटी महके आज 
बिन मेघा के नेह के, कैसे उगे अनाज |६|

निद्रा से उठे मेघ हैं, टूटी लम्बी तान 
सारी धरती खिल उठी ,तृप्त हुई कर पान |७|

घनन घनन बदरा घिरे, ऋतु रानी जब आय 
हरियाली की ओढ़नी , पहन धरा मुसकाय|८|

कजरारे घन देख के, झूम उठा किसान 
भर भर घट खाली करो, खूब उगेगी धान |९|

घन की गगरी है भरी, देख किसान प्रसन्न 
मेघों की बूँदें लगें, ज्यों हो बरसा अन्न |१०|

पींगें हैं सजने लगी, गूंज उठे मल्हार 
इंतजार गोरी करे ,कर सोलह शृंगार |११|

नैना तरसे हैं सजन, ह्रदय हुआ बेचैन 
सावन बीता जा रहा, आ जा तर कर नैन |१२|

Thursday, July 21, 2016

उपहार

उपहार 
अनमोल होते हैं 
अगर दिल से दिये जायें 

उपहार 
हर उम्र में 
सचमुच कितने अच्छे लगते हैं 

उपहार 
बचपन में पाकर 
मन पतंग सा उड़ने लगता है 

उपहार
में दी तुमने 
वो सारी खुशियाँ 
वो अनमोल पल 
जो जिये हमने साथ साथ 
जिनसे महक उठी मेरी जीवन बगिया 

उपहार 
में दे दो अब मुझे 
अपने सारे गम 
ताकि जी सकूँ उनको 
फिर से तुम्हारे साथ
अब जिंदगी की शाम में   

उपहार 
में दे दो मुझे 
अपना अटूट विश्वास 
अपना साथ जिंदगी भर के लिए 
.........................................
         21 जनवरी,2015.सरू 

Sunday, July 10, 2016

फिर चले आना [ गजल ]

1222        1222        1222       1222
गिले शिकवे सभी से अब मिटा लो फिर चले आना 
जरा तुम प्यार अपनों से जता लो फिर चले आना  

न जाने कब तलक यह रात होगी जिंदगी में अब 
दिया इक आस का तुम जो जगा लो फिर चले आना 

अभी गम के अँधेरे दूर तक हैं जिंदगी में यूँ 
गमों के ये अँधेरे तुम मिटा लो फिर चले आना 


सुखों के साथ होंगें जिंदगी में दुख बहुत यारो 
जरा मजबूत कन्धा तुम बना लो फिर चले आना 

अभी टूटे हैं सारे ख़्वाब मिलने के तुम्ही से यूँ 
वो ख्वाबे आशियाना तुम सजा लो फिर चले आना 


फिजाओं में घुला सरिता जहर फिर नफरतों का है
फिजाओं में यूँ खुशियाँ कुछ बसा लो फिर चले आना 

मिली सागर में सरिता प्यास बाकी रह गई फिर भी 
लबों/ह्रदय की तिश्नगी तुम जो बुझा लो फिर चले आना 
10 जुलाई,2016.. सरू 

Tuesday, June 21, 2016

जो हम तुम मिले थे [ गजल ]


वो गुजरा जमाना जो हम तुम मिले थे 

है बीता फ़साना जो हम तुम मिले थे|

बदलना अँगूठी को इक दूसरे से 
वो दिन था सुहाना जो हम तुम मिले थे|


बिना तेरे सूने हैं दिन और रातें
न भूले जमाना जो हम तुम मिले थे|
वो करवे की थाली वो श्रृंगार सोलह
वो गजरा लगाना जो हम तुम मिले थे|

वो बिस्तर वो तकिया वो पायल है गुमसुम
सभी देते ताना जो हम तुम मिले थे |

जिये संग सरिता ने अनमोल लम्हे 
न आये भुलाना  जो हम तुम मिले थे|
.... 21 जून,2016.

Saturday, June 18, 2016

आरक्षण


आरक्षण का भूत फिर,लाया है भूचाल।
भूले सब इंसानियत, बुनते हैं नित जाल।। 


आरक्षण की रेवड़ी ,ले घूमें चहुँ ओर |
मौसेरे भाई सभी ,और सभी हैं चोर || 


भारत मेरा जल रहा , कैसा मचा बवाल।
नेता देखें वोट को ,जनता है बेहाल।।

आरक्षण के नाम से,बाँटो मत अब देश |
यहाँ बसें इंसान सब,लिए अलग परिवेश ||

आरक्षण दिव्यांग को,या दो किसी अनाथ।
जात धर्म को छोड़कर ,दो गरीब का साथ।।
*****



Saturday, June 4, 2016

पर्यावरण गीत

आओ मिलकर पेड़ लगायें 
धरती को हम स्वर्ग बनायें

हरियाली कर छाँव बढाकर
रंग बिरंगे पुष्प खिलाकर
इस बगिया को स्वच्छ बनायें
धरती को ...


सीता,शबनम,राम,सुनीता 
अफजल,पीटर,श्याम,अनीता
शेर सिंह को साथ बुलायें
धरती को ...

यह है तेरा ,वो है मेरा 
राग द्वेष ने डाला डेरा 
आओ मिल मतभेद मिटायें 
धरती को ...

जंगल जंगल आग लगाकर
प्रदूषन सब ओर फैलाकर
ग्लोबल वार्मिंग नहीं बढ़ायें 
धरती को ...

संग चलें सब नहीं अकेले
लगे रहें दुनिया के मेले 
एक एक सब पेड़ लगायें
धरती को ...

पर्यावरण को शुद्ध बनाकर
हरियाली चहुँ ओर बढ़ाकर
जीने लायक इसे बनायें
धरती को ...
5जून,2016

Saturday, May 7, 2016

मेरा आईना

अगर झूठ बोलूँ                              
शर्म से नजरें झुकाता है यह
अगर सच बोलूँ
शान से सर उठाता है यह
मिल जाये अगर प्यार
मन ही मन मुस्काता है यह
अगर रहूँ उदास
तो आँसू बहाता है यह
गज़ब का पहचानता है मुझे
मुझसे ज्यादा जानता है मुझे
हमेशा साथ निभाता है 
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मेरा आईना