हमराही

सुस्वागतम ! अपना बहुमूल्य समय निकाल कर अपनी राय अवश्य रखें पक्ष में या विपक्ष में ,धन्यवाद !!!!

Sunday, February 21, 2016

" देख समय की चाल " दोहावली




शनि-रवि (20-21 फरवरी)
सारा भारत जल रहा, देख समय की चाल।
सभी देशद्रोही करें, चारों ओर बवाल।।

आरक्षण का भूत है ,लाया फिर भूचाल।
खोकर सब इंसानियत , खेंच रहे हैं खाल।।

मौसम करवट ले रहा, देख समय की चाल।
डॉक्टर चाँदी काटते , अंदर करते माल।।

बकरा भी है सोचता, देख समय की चाल।
कभी पूजते हैं उसे ,करते कभी हलाल।।

देख समय की चाल को,खुद को लेना ढाल।
बहक कहीं जाना नहीं, यह दुनिया जंजाल ।।

नस नस में फैला जहर ,देख समय की चाल।
कंकर हो तो ढूंढ ले, काली सारी दाल ।।

Monday, January 18, 2016

रूह के रिश्ते

रूह के रिश्ते 
होते हैं अजीब 
न समझो तो हैं दूर,
जो समझो तो हैं बहुत करीब

रूह के रिश्ते 
जो बिन देखे बन जाते हैं 
अगर जो न मिल पायें 
तो जीवन भर तड़पाते हैं 

रूह के रिश्तों  को तोड़कर 
हो पाता नहीं कोई गैर 
दूर चाहे जितना रहें 
मांगे सदा ही खैर 

रूह के रिश्ते 
जो बिन बाँधे बंध जाते हैं 
बनता है अटूट बंधन 
फिर तोड़े कभी ना जाते हैं 
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Thursday, January 7, 2016

छल, कपट [दोहे]


फितरत में जिनकी कपट, छलते हैं हर रोज ।
चाहे गंगाराम हो, चाहे राजा भोज।|

गद्दारी है खून में, नियत सदा  नापाक ।
गले मिला घोंपी छुरी,देश पड़ोसी पाक।।


जयचंदों ने जब छला ,बेच दिया ईमान।
मातृभूमि पर मिट गए, मेरे वीर जवान ।।

ओढ़ तिरंगे का कफ़न,चले गए ये लाल।
कंगन,पायल, मेंहदी ,रोते करें सवाल।।

शान तिरंगे की लिए, खोये हमने वीर।
कहे मेंहदी हाथ में,दे दो अब शमशीर।।

सुता एक जवान की ,पूछे आज सवाल।
फौजी अपने देश का, क्यों हो सदा हलाल?

कर्ज उतारा देश का,देकर अपना खून
नमन करो औ' सीख लो ,मरने का जूनून ।।

Tuesday, January 5, 2016

रोया मंगलसूत्र है [ कुण्डलिया ]




रोया मंगलसूत्र है,रोया है सिन्दूर।
कंगन पायल पूछते,चले गए क्यों दूर।।
चले गए क्यों दूर,मेंहदी आज पुकारे
विरला वो जाँबाज , देश पे जाँ जो वारे
रोते हैं माँ, बाप ,बहन ने भाई खोया 
सरिता खोकर वीर, देश है सारा रोया ।।


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Friday, December 25, 2015

अजन्मा अहसास

ख़ुश होती हूँ
हाँ बहुत खुश
पाकर तुम्हे इतना करीब
महसूसती हूँ
तुम्हारा अहसास
तुम्हारा स्पर्श
तुम्हारी साँसे
तुम्हारी धड़कन
पा लेती हूँ
सारी कायनात
अब है कोई
मेरा अपना
हमेशा मेरे साथ
जिस पर न्यौछावर
सृष्टिभर का प्यार
मैं
सुनने को बेताब
तुमसे एक अनमोल शब्द
"माँ "
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 माँ बनने का अहसास सचमुच अतुलनीय है...
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Tuesday, December 22, 2015

यादें [ आज फिर...]

आज फिर 
दर्द हल्का है 
साँसें भारी हैं 
दिल अजीब सी कशमकश में है 
कोई गाड़ी छूट रही हो जैसे...

आज फिर  
दूर जा रहा है 
कोई अपना
मुझसे रूठकर 
मुझे बेजान करके....

आज फिर 
टूट गई हूँ मैं
कच्चे झोंपड़े सी
यादों की बारिश से...

आज फिर 
उदास है मन 
भीगी हैं पलकें
खोकर सुकून अपनेपन का ...
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बस जिए जाने की रस्म जारी है ...

Wednesday, October 28, 2015

नवरात्रि दोहावली 2.


भाग 1.

पंचम दुर्गा रूप को ,कहें स्कन्ध की मात।
मोक्ष द्वार होता सुलभ,दर्शन जब हो जात।।
मानव चोला है कठिन ,करना नहीं ग़ुरूर।
उपासना माँ की करो,यश बल मिले जरूर।।




छठा रूप कात्यायनी ,करो प्रेम से भक्ति।
रोग द्वेष को नष्ट कर ,देती है माँ शक्ति।।
माँ के शक्ति रूप का,करो ह्रदय से ध्यान।
मनोकामना पूर्ण हो ,मिले मान सम्मान।।



कालरात्रि माँ सातवीं ,करे काल का नाश।
फलित होय शुभ साधना,भय का होय विनाश।।
रंग बिरंगी चुनरियाँ ,सजा हुआ दरबार।
वैर भाव को छोड़कर ,पा लो माँ का प्यार।|



रूप महागौरी धरा ,वर्ण पूर्णता गौर।
संभव होते कार्य सब,जब पहुँचें माँ ठौर।।
माँ चरणों में बैठकर ,शुरू किये उपवास।
देना आशीर्वाद माँ ,आया तेरा दास।।
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