हमराही

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Saturday, September 30, 2017

विजयादशमी (कुंडलिया)

आया उत्सव विजय का,विजयादशमी नाम।
आज दशानन मार कर ,बोलो जय श्री राम।।
बोलो जय श्री राम , हार कर चली बुराई 
महिषासुर को मार,आज जीती अच्छाई 
काम,क्रोध,मद, लोभ,अहम को अगर जलाया।
सरिता उस दिन मान,विजय उत्सव है आया।।

असली रावण मार कर ,मनुज स्वयं को जीत 
वचन निभाओ प्राण दे, लाओ रघुकुल रीत 
लाओ रघुकुल रीत, विजय का पर्व मनाओ
करो विसर्जन पाप ,पुण्य पताका चढ़ाओ
छोड़ो भ्रष्टाचार ,उतार मुखौटा नकली
सरिता पूजो शक्ति  ,दशहरा तब ही असली ।।

Thursday, September 28, 2017

महागौरी माँ ( कुंडलिया )

चम चम अष्टम रूप है, कर लो माँ का ध्यान।
उज्ज्वल मंगलदायिनी ,देती माँ वरदान
देती माँ वरदान ,महागौरी रूप धवल
शिवा,शाम्भवी नाम,गौर वर्ण पूरण नवल 
माँ के हाथ त्रिशूल,बजे है डमरू डम डम 
सरिता छाया ओज,चेहरा चमके चम चम ।।

कालरात्रि माँ ( कुंडलिया )

काली माँ है सातवाँ, दुर्गा जी का रूप।
शुभंकरी फलदायिनी ,इसका रूप अनूप
इसका रूप अनूप, विकट कालरात्रि माई
धनुष ,चक्र,गदा,बाण,केश फैलाकर आई
कृष्णा ,काली और , नाम त्रिनेत्री कराली
गर्दव हुई सवार ,पधारी निर्भय काली।।

कात्यायनी माँ ( कुंडलिया )


ध्याते षष्ठम रूप को ,देती है माँ शक्ति।
कल्याणी कात्यायनी,कर लो माँ की भक्ति।।
कर लो माँ की भक्ति,मनोवांछित है मिलता
एक हाथ तलवार,कमल दूजे में खिलता
मिट जाते संताप ,शरण माँ की जो आते
माँ का स्वर्ण समान, रूप जो सरिता ध्याते।।


स्कन्दमाता माँ ( कुंडलिया )

कहें स्कन्दमाता जिसे,पंचम रूप/दिवस अनूप
कर लो इसकी अर्चना, दिव्य अलौकिक रूप
दिव्य अलौकिक रूप, सदा माँ है सुखदायी
गोद लिए माँ स्कन्द ,चतुर्भुज वह फलदायी
मिले मोक्ष का द्वार ,मनुज मनवांछित पाता
सरिता गौरी रूप,भक्त कहें स्कन्दमाता।।

Monday, September 25, 2017

कूष्मांडा देवी [ कुंडलिया ]



साधक करते साधना ,होते सफल प्रयास।
कूष्मांडा देवी करे, पूर्ण मनुज हर आस।।

पूर्ण मनुज हर आस, करे अष्टभुजा मैया 
होकर सिंह सवार, पार करती माँ नैया 
सरिता माँ के भक्त,नहीं विपदा से डरते 
रोग ,कष्ट से मुक्त,साधना साधक करते ||

चंद्रघंटा माँ ( कुंडलिया )


मैया तेरा तीसरा ,उज्ज्वल है अवतार।
अर्ध चंद्र माथे सजा, घंटे का आकार।
घंटे का आकार,  चंद्रघंटा कहलाये
अस्त्र शस्त्र दस हाथ,पुष्प उज्ज्वल अति भाये
माँ से पा लो शांति,करो मत तेरा मेरा 
सरिता करे अर्पण,  दिया जो मैया तेरा।।

Sunday, September 24, 2017

ब्रह्मचारिणी देवी ( कुंडलिया )

मैया जी का दूसरा, ब्रह्मचारिणी रूप।
यह है तप की चारिणी,माँ का रूप अनूप।।
माँ का रूप अनूप ,बनी शिव की वो हाला
लिये कमंडल वाम, हाथ दायें में माला
तप संयम लो सीख, पार हो सरिता नैया
पूर्ण करे नवरात्रि , मुरादें दुर्गा मैया।।

शैलपुत्री देवी ( कुंडलिया)


अम्बे माँ का प्रथम दिन ,लाया शुभ आगाज।
रूप शैलपुत्री धरा, कर मैया पर नाज।।
कर मैया पर नाज, वृषभ वाहन बन आया
दायें हस्त त्रिशूल,कमल बायें अपनाया
उज्ज्वल शांति प्रतीक,विराजो माँ जगदम्बे
सरिता अविचल ज्ञान, सदा लाये माँ अम्बे ।।

नवरात्रि कुंडलिया

कर लो माँ की अर्चना, अश्विन का है मास।
आये फिर नवरात्र हैं,शुरू हुए उपवास।।
शुरू हुए उपवास, द्वार मैया के जाओ
करे मुरादें पूर्ण, झोलियाँ भर के लाओ
लो चरणों की धूल, ध्यान मैया का धर लो
रखकर शुभ उपवास, अर्चना सरिता कर लो ।।
                   . . . 22सितंबर,2017