हमराही

सुस्वागतम ! अपना बहुमूल्य समय निकाल कर अपनी राय अवश्य रखें पक्ष में या विपक्ष में ,धन्यवाद !!!!

Monday, September 30, 2013

चली आना बनी राधा किसी पैगाम से पहले

मुझे अब माफ़ कर देना खुदा अंजाम से पहले 
लिया है नाम उसका जो तुम्हारे नाम से पहले //

बनो सीता अगर तो साथ तुम देना हमेशा ही 
न लक्ष्मण रेखा यूँहीं  लांघना तुम राम से पहले // 

तुम्हें राधा सा बनना श्याम की इस सूने जीवन में 
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले //  

अगर दुख सुख में यूँहीं साथ तुम मेरा निभाओगी 
करूँगा पूरा हर अरमान जीवन शाम से पहले //

बजी जो मुरलिया मेरी धुनों से प्यार निकलेगा 
चली आना बनी राधा किसी पैगाम से पहले //

मिला जो साथ तेरा जिंदगी भर के लिए मुझको  
सफलता देख लूँगा आ गए परिणाम से पहले //
**********

Friday, September 27, 2013

माँ [कुण्डलियाँ ]

माँ के आंचल में मिले ,ममता की ही छाँव 
शुभाशीष पाओ  मधुर, नित्य दबाकर पाँव  
नित्य दबाकर पाँव , आशीर्वाद तुम लेना 
माँ से  बड़ा न स्वर्ग ,उसे दुख कभी न देना  
मिट जाते दुख-दर्द , पास में माँ के जा के
ममता के ही फूल ,मिलें आंचल में  माँ के 
**********

Tuesday, September 24, 2013

फिर हंसता है चेहरा तो क्यों यह मन रोता है?

चेहरे की मुस्कुराहट पर ना जाओ जनाब
यह तो है रोते हुए दिल का नक़ाब
कहते हैं लोग कि चेहरा मन का दर्पण होता है
फिर हंसता है चेहरा तो क्यों यह मन रोता है?
****

Monday, September 23, 2013

मुक्तक

1.
कोई छू जो गया था तो बाकी है अहसास
जाने वो कौन था जिसपर दिल को था विश्वास
सब कह रहे थे, वो कोई तेरा अपना था
आँख जब खुली तो जाना,वो तो इक सपना था
2.
खुली आँख से देखा है मैने इक सपना
नही है कोई और वो है कोई मेरा अपना
बनाए रखना तुम वो अपने का अहसास
नही कभी भुलाना कि तुम हो मेरे ख़ास
**********

Saturday, September 21, 2013

दिल है अपना पर प्रीत क्यों पराई

मिलन के साथ हे प्रभु कैसी यह जुदाई
दिल है अपना पर प्रीत है क्यों पराई
मिलन जुदाई की क्यों रीत यह बनाई 
मुश्किल है देना किसी अपने को विदाई
******

Friday, September 20, 2013

कुण्डलिया [प्यार]

कर लो सब से दोस्ती, छोड़ो अब तकरार 
जीवन है दिन चार का ,बांटो थोड़ा प्यार //
बांटो थोड़ा प्यार, यही है दौलत असली 
प्यार स्नेह को मान ,और सब ही नकली 
धन दौलत सब छोड़ ,प्यार जीवन में भर लो   
रहे कोई न गैर ,सब से दोस्ती कर लो //
******

Thursday, September 19, 2013

कुण्डलिया [गजानन]

पाकर रूप नया गजा, आ गए जब द्वार 
जीवन भर उत्साह से, करते नव संचार //
करते नव संचार ,दामन ख़ुशी से भरकर  
करते हमें निहाल, सभी कष्टों को हरकर   
करें विदाई आज ,गीत मंगल के गाकर   
आना अगले बरस ,रूप अभिनव ही पाकर 
***********

Wednesday, September 18, 2013

मुक्तक

कहाँ आस लगाए हो प्यारे,यहाँ गुंगे और बहरे रहते हैं
कभी थी ,सोने की चिड़िया आज इसे इंडिया कहते हैं
पेड़ों की आवाज़ सुन सके चाहिए ऐसा दीवाना दिल
कर दे जां भी न्योछावर जो उसे देशभक्त कहते हैं 
......................

Tuesday, September 17, 2013

कुण्डलियाँ [ मोदी महिमा ]

1.
नमो के जन्मदिवस की ,मची हुई है धूम 
उसको आशीर्वाद दे , मस्तक उसका चूम 
मस्तक उसका चूम ,मात वारी है जाती 
दुनिया की बला सब , पुत्र की दूर भगाती 
भारत के निर्माण में बेटा ऐसे रमो
देती आशीर्वाद माँ जन्मदिवस पर,नमो   
....................
2.
मोदी अपने हिन्द के, भावी हैं सरदार
नव भारत की कल्पना करलो अब साकार 
करलो अब साकार, उन्नत देश का सपना 
उज्जवल हो भविष्य, कोई न सानी अपना
आपका है जन्मदिन देख रहे सभी सपने 
डरने की ना बात ,आ गए मोदी अपने 
*************

कुण्डलिया [हिंदी दिवस]

शान है मातृभूमि की ,देश का स्वाभिमान , 
हिंदी बिंदी मात की ,यह मेरा अभिमान |
यह मेरा अभिमान , अधिकार है यह सबका ; 
दो इसको विस्तार ,है कर्तव्य जन जन का ;  
हिंदी दिन को आज, मिले तभी सम्मान है 
अपनाओ सब मीत ,इसमें इसकी शान है ||

हिंदी पखवाड़े की सभी को शुभकामनाएं !
***********

Monday, September 16, 2013

गणपति बप्पा [ दोहे ]

गणपति बप्पा आ गए, खुशियां लाए ढेर 
कष्ट हरो विनायक अब ,बिना लगाये देर //

विनायकम कहते सभी ,धरते तेरा ध्यान
तुझसे ही जीवन चले, तुझसे पाते प्राण //

संकट हरलो अब सभी, गौरी पुत्र गणेश 
चिंता हरकर छोड़ दो ,केवल खुशियाँ शेष //

देव विघ्नहर्ता बनो ,संकट मेरे टाल 
खुशियां दामन में भरो, कर दो मुझे निहाल //

आप गजानन इस बरस , देना अनुपम प्यार 
दूर रहूँ दुख कष्ट से , पाकर ख़ुशी अपार //

गणपति बप्पा मोरया, आ गए हैं द्वार 
जीवन भर उत्साह से, करते नव संचार //

बुराइयों से दूर रख ,बनना मेरे त्राण 
बारम्बार करूँ नमन, दो चरणों में स्थान //
...............

Saturday, September 14, 2013

हिंदी दिवस [दोहावली]

हिंदी मेरे हिन्द की ,संस्कृति की पहचान|
मिसरी घोले कान में ,इसमें बसती जान ||

अलग अलग भाषा सभी,अलग अलग पहचान |
गौरव है हिंदी दिवस,हिंदी मेरी शान ||

मातृभूमि की शान है ,देश का स्वाभिमान | 
हिंदी बिंदी मात की ,यह मेरा अभिमान ||

पर्व एक हिंदी दिवस, मनाओ संग प्यार 
वारें इस पर जान हम ,दें सम्मान अपार ||

हिंदी भाषा देश को, करती है धनवान |
अंग्रेजी को छोड़ कर ,इसको देना मान ||

हिंदी दिन है आ गया ,ख़ुशी मनाओ यार |
देवों की भाषा यही , महकाओ घर-बार ||

हिंदी भारत स्नेह है ,भारत की है आस|
हिंदी भाषा है मधुर, सबका यह विश्वास || 

संस्कृत की दिव्या सुता ,जन जन का आचार |
लाकर अब व्यवहार में , दो इसको विस्तार ||

हिंदी दिन की आपको ,बधाइयाँ हैं ढेर |
हिंदी अपनाएं सभी , अब काहे की देर ||
..........................................

Friday, September 13, 2013

कुण्डलिया [सीमा पर ]

चित्र से काव्य तक छंदोत्सव 



प्रहरी सीमा के बनो ,चल दो सीना तान 
पगड़ी तेरी लाल है खाकी है पहचान 
खाकी है पहचान,धर्म है तेरा खाकी 
खाकी तेरी शान,कर्म है तेरा खाकी 
मत करना विश्वास,पाक की चालें गहरी 
जान देश पे वार बनो सीमा के प्रहरी   
***********

Tuesday, September 10, 2013

''निर्माता''

सृष्टि का निर्माण किया रचकर यह संसार 
ब्रह्मा को करते नमन ,पहले रचनाकार // 

मात पिता को है नमन, दूजे रचनाकार 
आदर औ' सम्मान से, देना उनको प्यार //

गुरु निर्माता एक है, देता सच्चा ज्ञान
जीवन उससे है बना, उससे से है पहचान //

जीवन 'गर संवारना,सच्चा गुरु लो खोज 
माली बन जो शिष्य का ,उसे सींचता रोज //

रंग बिरंगे फूल हैं ,बगिया की पहचान 
बनकर गुरु रक्षक मगर ,डाले इसमें जान //

सुधार दे कच्चा घड़ा , ठोक थपक कुम्हार 
गुरु संवारे शिष्य को, दे डांट और प्यार //

करे देश निर्माण जो ,भविष्य सदा सुधार 
गुरु सा निर्माता नहीं, करलो यह स्वीकार //

निर्माता तुम भी बनो, पेड़ लगाओ यार 
धरती को संवार दो , इसका कर शृंगार //

युग निर्माता हैं सभी, धरती के वो लाल 
आजादी सौगात दी , रखो इसे संभाल //

निर्माताओं को सभी ,करबद्ध है प्रणाम 
जीवन तुम संवार लो ,करके अच्छे काम // 
***********

Saturday, September 7, 2013

कभी कभी तुम खुश रहने का ना कोई कारण पाते हो

अंग्रेजी में एक सन्देश आया था मेरे फ़ोन में उसी को रचना का आकार दिया चंद अपने शब्दों को भी जोड़कर 


जब कभी सीमा पर 
एक सिपाही सोता है,
अपनों को याद कर 
वो चुपके से रोता है|

कहीं पर कोई माँ 
एक आह भरती है,
नवजात शिशु की आँखें 
ना खुलने से डरती है|

कहीं पर एक गरीब बाप 
चुपके से रोता है,
जब उसका बेटा एक टुकड़ा 
रोटी के लिए रोता है|

कहीं पर एक लड़की 
अनाथालय में उदास है,
क्योंकि उसके माँ बाप
आज न उसके पास हैं|

कभी कभी तुम खुश रहने का 
ना कोई कारण पाते हो,
पर अपने आपको बहुतों से 
कुछ ज्यादा ही खुश पाते हो |

सीख सको तो अपने से नीचे 
देख के जीना सीख , 
शोहरत के पीछे भागो तो 
नहीं मिलेगी भीख ||
............

Thursday, September 5, 2013

शिक्षक दिवस की शुभकामनाएँ

माली छात्र जीवन का बनकर ,
भिन्न भिन्न फूल खिलाये शिक्षक |

रंग बिरंगे फूल खिलाकर 
महके और महकाये शिक्षक | 

कच्चे घड़े को स्वरूप देकर  
आधार हमारा बनाये शिक्षक |

अपार सम्पदा ज्ञान की देकर 
कर्तव्य अपना निभाये शिक्षक |

अच्छे बुरे का फर्क बताकर 
सच्ची राह दिखाये शिक्षक |

कैसे जीना समाज में रहकर 
इस योग्य बनाये शिक्षक |

स्नेह सरिता की धारा बनकर 
नैया पार लगाये शिक्षक |
...................................

Wednesday, September 4, 2013

गुरु का आओ सम्मान करें [सार छंद]

गुरु का आओ सम्मान करें, उनकी आज्ञा पालें ,
छात्र जीवन है कच्चा घड़ा, खुद को उन सम ढालें |

गुरु का आओ सम्मान करें, ज्ञान का वरदान लें , 
सही गलत की पहचान करें, कर्तव्य का दान लें |  

गुरु का आओ सम्मान करें ,कहना उसका मानें ,
श्रम और लगन सच्चा गहना,इसको अब हम जानें |

गुरु का आओ सम्मान करें ,सिद्ध शिष्य कहलायें 
आदर्शों को धारण कर लें , नैया पार लगायें |

गुरु का आओ सम्मान करें ,शिक्षक दिवस मनायें 
सर्वपल्ली राधाकृष्ण का ,जन्मदिन अब मनायें ||
.....................

Tuesday, September 3, 2013

प्रेम की पाती

क्या जानें कल इस आधुनिकता के युग में पाती भी तार की तरह आखिरी साँस ले रही हो इसलिए यादों को याद करते हुए ' प्रेम की पाती '
यश जी के जन्मदिवस 3 सितम्बर पर सप्रेम भेंट 

अलमारी के एक कोने में
मिली वो प्रेम की 'पाती'
जब नही था फोन कोई
इसी से हमारे तुम्हारे
बीच कुछ बात हो पाती
क्या था जुनून तब
नहीं आज तक समझ पाती

वो अलग अलग 
भाषा का प्रयोग
वो भिन्न भिन्न
स्टाइल में लिखना
कभी उल्टी भाषा,
कभी घुमावदार तरीका अपनाना
जिसे पढ़ते पढ़ते 
आपको चक्कर आ जाना 
और ख़यालों में इस बात को
सोचकर हमारा मुस्कराना

हमारा पहुँचाना आप तक
वो प्रेम की पाती
जो आप तक 
पहुँचने से पहले 
देवर के हाथ लग जाती
जो माँगता आपसे
प्रेम की रिश्वत
फिर वो आप तक पहुँच पाती
वो मेरी प्रेम की पाती

जिसमें होता कुछ दिनों,
कुछ घंटों,कुछ पलों का हिसाब
जो गुज़रे आप के साथ लाजवाब
वो लम्हे,वो पल,जो गुज़रे आप बिन
जिनका पल पल का हिसाब
ना लिख पाती मैं गिन गिन

वो याद फिर दिला गई
वो गुजरा जमाना
वो थी कोई परी कथा
या था कोई अफ़साना
बहुत मुश्किल है 
इन यादों को भुलाना
इन लम्हों को भुलाना
          ..........सरिता

Sunday, September 1, 2013

काहे को दुनिया बनाई

काहे बनाए तूने माटी के पुतले 
धरती यह प्यारी मुखड़े यह उजले 

तू भी तो तड़पा होगा मन को बनाकर 
तूफान यह प्यार का मन में जगाकर 
कोई छवि तो होगी आँखों में तेरी 
आंसूं भी छलके होंगे पलकों से तेरी 

बोल क्या सूझी तुझको काहे को प्रीत जगाई 
सपने जगाके तूने काहे को देदी जुदाई