हमराही

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Sunday, October 28, 2012

'' यह दिल इतना बेकरार क्यों है ? ''

यह दिल इतना बेकरार क्यों है ?
पाया था सब,पाया है सब,
फिर भी ना जाने क्या चाहे यह दिल
हंसते हंसते रोए,रोते रोते हंसदे
ना जाने क्या खोए,क्या जाए इसे मिल
लाख सुलझायो ना सुलझे यह उलझन
क्यों इतना बेचैन रहता है यह दिल
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