हमराही

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Wednesday, August 7, 2013

कभी मिल हमें तू फ़ुर्सत में

कभी मिल हमें तू फ़ुर्सत में,
तो हाले दिल सुनाएँ हम|

वो बीते लम्हे याद करें,
तेरे संग समय बिताएं हम |
वो खट्टी मीठी बातों संग ,
उन यादों में खो जाएँ हम | 

कभी मिल हमें तू फ़ुर्सत में,
तो हाले दिल सुनाएँ हम |

चाँद की शीतल चाँदनी में,
तेरे साथ में यूँ खो जाएँ हम |
बाँटें गम अपने,मन हल्का हो,
यूँ जन्नत में हो आएँ हम |

कभी मिल हमें तू फ़ुर्सत में,
तो हाले दिल सुनाएँ हम |

तारों का हो आशियाना,
तेरे कंधे पर सर टिकाएँ हम |
साँसों से साँसें जोड़कर,
अश्कों में गम बहाएँ हम |

कभी मिल हमें तू फ़ुर्सत में,
तो हाले दिल सुनाएँ हम ||
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