हमराही

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Friday, December 27, 2013

जिन्दगी पर से भरोसा ही उठा है


2 1 2 2    1 1 2 2    1 1 2 2

प्यार में हमने तो यूँ दर्द सहा है
प्यार के नाम से मन डरने लगा है /


मौत को देखा है कुछ पास से इतना
जिन्दगी पर से भरोसा ही उठा है /

लम्हा हर एक जिओ आखिरी ज्यों हो
मौत पर अपना कहाँ बस भी चला है /

है जमाने का ये दस्तूर अनोखा
अपनों ने आग हवाले यूँ किया है /

बाँट सरिता जो सको प्यार को बांटो
नफरतों से तो सदा घर ही जला है /

......सरिता  भाटिया 
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