हमराही

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Friday, April 17, 2015

फिसल रही है जिंदगी

बढ़ रही हैं इच्छाएं 
अमर बेल की मानिंद 
पिघल रही हूँ मैं 
ग्लेशियर की मानिंद 
फिसल रही है जिंदगी 
रेत की मानिंद 
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