आरक्षण का भूत फिर,लाया है भूचाल।
भूले सब इंसानियत, बुनते हैं नित जाल।।
आरक्षण की रेवड़ी ,ले घूमें चहुँ ओर |
मौसेरे भाई सभी ,और सभी हैं चोर ||
भारत मेरा जल रहा , कैसा मचा बवाल।
नेता देखें वोट को ,जनता है बेहाल।।
आरक्षण के नाम से,बाँटो मत अब देश |
यहाँ बसें इंसान सब,लिए अलग परिवेश ||
आरक्षण के नाम से,बाँटो मत अब देश |
यहाँ बसें इंसान सब,लिए अलग परिवेश ||
आरक्षण दिव्यांग को,या दो किसी अनाथ।
जात धर्म को छोड़कर ,दो गरीब का साथ।।
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