किया बुढ़ापे के लिये, सुत लाठी तैयार।
बहू उसे लेकर गई, बूढ़े ताकें द्वार।।
बहू किसी की है सुता, भूले क्यों संसार।
गेह पराये आ गई ,करो उसे स्वीकार।।
किया बुढ़ापे के लिये, बेटा सदा निवेश।
पर धन बेटी साथ दे , बेटा गया विदेश।।
बहू अगर माँ मान ले ,बोझ लगे ना सास।
घुलमिल ही परिवार में ,रिश्ता बनता खास।।
सुघड़ बनें रिश्ते सदा, तभी समझ लो आप।
सास ससुर को जब बहू ,समझेगी माँ बाप।।
बेटी दो घर जोड़ती, बेटी है संस्कार।
बहू बने बेटी अगर, सुखी रहे परिवार।।
आँख खुली इंतज़ार में,लिये मिलन की आस।
वृद्धाश्रम में ले रही ,मात आखिरी श्वास।।
.. 2जुलाई,2017
बहू उसे लेकर गई, बूढ़े ताकें द्वार।।
बहू किसी की है सुता, भूले क्यों संसार।
गेह पराये आ गई ,करो उसे स्वीकार।।
किया बुढ़ापे के लिये, बेटा सदा निवेश।
पर धन बेटी साथ दे , बेटा गया विदेश।।
बहू अगर माँ मान ले ,बोझ लगे ना सास।
घुलमिल ही परिवार में ,रिश्ता बनता खास।।
सुघड़ बनें रिश्ते सदा, तभी समझ लो आप।
सास ससुर को जब बहू ,समझेगी माँ बाप।।
बेटी दो घर जोड़ती, बेटी है संस्कार।
बहू बने बेटी अगर, सुखी रहे परिवार।।
आँख खुली इंतज़ार में,लिये मिलन की आस।
वृद्धाश्रम में ले रही ,मात आखिरी श्वास।।
.. 2जुलाई,2017