हक़ीकत से सामना......
सपना जब हक़ीकत बन,
सामने मेरे आ गया!
उसने हाथ जो थामा मेरा,
एक शीत लहर
बिजली की तरह दौड़ गई,
आवाज़ खामोश कर
एक सिरहन सी छोड़ गई
अनकहे सवाल अनेक,
सबका जवाब हो जैसे एक
आँखों ने आँखों से कुछ कहा
दिल ने चुपके से जो सुन लिया
उसकी धड़कन में वजूद मेरा खो गया
दो देहो का समावेश एक आत्मा में हो गया
सपना जब हक़ीकत बन,
सामने मेरे आ गया!
उसने हाथ जो थामा मेरा,
एक शीत लहर
बिजली की तरह दौड़ गई,
आवाज़ खामोश कर
एक सिरहन सी छोड़ गई
अनकहे सवाल अनेक,
सबका जवाब हो जैसे एक
आँखों ने आँखों से कुछ कहा
दिल ने चुपके से जो सुन लिया
उसकी धड़कन में वजूद मेरा खो गया
दो देहो का समावेश एक आत्मा में हो गया