हमराही

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Friday, October 25, 2013

क्षणिकाएं

ख्वाबों में आकर फिर से,अरमान जगा गया कोई
कभी अपना था अब किसी का है,यह बता गया कोई/

संग बैठे थे कभी गाये थे मिलकर प्रीत के गीत
सब सुंदर जग सुहाना था ,जब तुम थे मेरे मीत/

कभी आँचल में तेरे गुज़ारे थे हमने दिन और रात
आज भी है खुश्बू का अहसास,तब मीठी थी हर बात/
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