हर बार तुम्हे संभाला है
एक औरत ने ही पाला है
माँ की ममता से तुम्हे
है सँवारा
तेरा नटखटपन लगे
उसे प्यारा
बचपन में उंगली पकड़ के
चलना सिखाया
बहन बन अपना प्यारा
रिश्ता निभाया
दोस्त बन तुम्हें ऐसा
कांधा दिया
जिस पर जब दिल चाहा
तुमने रो दिया
प्रेयसी बन दुनिया में
जन्नत दिखा दी
तेरे जीवन की हर
मन्नत मना दी
अर्धांगिनी बन अपना
फर्ज़ यूँ निभाया
हर दुख सुख में तेरा
साथ निभाया
फिर भी.....
हर मोड़ पर नर ने
उसको धिक्कारा
आखिरी सांसों में तूने
उसको ही पुकारा
समय है निभा दो
तुम अपना फर्ज
उतार न सकोगे
उसका कभी कर्ज
अगर थोडा प्यार
उसको तुम दोगे
स्नेह,आशीष से
दामन भर लोगे ||
.......................
एक औरत ने ही पाला है
माँ की ममता से तुम्हे
है सँवारा
तेरा नटखटपन लगे
उसे प्यारा
बचपन में उंगली पकड़ के
चलना सिखाया
बहन बन अपना प्यारा
रिश्ता निभाया
दोस्त बन तुम्हें ऐसा
कांधा दिया
जिस पर जब दिल चाहा
तुमने रो दिया
प्रेयसी बन दुनिया में
जन्नत दिखा दी
तेरे जीवन की हर
मन्नत मना दी
अर्धांगिनी बन अपना
फर्ज़ यूँ निभाया
हर दुख सुख में तेरा
साथ निभाया
फिर भी.....
हर मोड़ पर नर ने
उसको धिक्कारा
आखिरी सांसों में तूने
उसको ही पुकारा
समय है निभा दो
तुम अपना फर्ज
उतार न सकोगे
उसका कभी कर्ज
अगर थोडा प्यार
उसको तुम दोगे
स्नेह,आशीष से
दामन भर लोगे ||
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