हमराही

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Tuesday, October 8, 2013

औरत

हर बार तुम्हे संभाला है
एक औरत ने ही पाला है

माँ की ममता से तुम्हे
है सँवारा
तेरा नटखटपन लगे
उसे प्यारा

बचपन में उंगली पकड़ के
चलना सिखाया
बहन बन अपना प्यारा
रिश्ता निभाया

दोस्त बन तुम्हें ऐसा
कांधा दिया
जिस पर जब दिल चाहा
तुमने रो दिया

प्रेयसी बन दुनिया में
जन्नत दिखा दी
तेरे जीवन की हर
मन्नत मना दी

अर्धांगिनी बन अपना
फर्ज़ यूँ निभाया
हर दुख सुख में तेरा
साथ निभाया

फिर भी.....
हर मोड़ पर नर ने
उसको धिक्कारा
आखिरी सांसों में तूने
उसको ही पुकारा

समय है निभा दो 
तुम अपना फर्ज 
उतार न सकोगे 
उसका कभी कर्ज

अगर थोडा प्यार 
उसको तुम दोगे
स्नेह,आशीष से 
दामन भर लोगे ||

.......................
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