हमराही

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Sunday, October 6, 2013

सुनाई शंख देता है यहाँ शुभ काम से पहले

1 2 2 2  1 2 2 2  1 2 2 2  1 2 2  2

चढा दी हसरतें सूली किसी पैगाम से पहले//
नमन है उन शहीदों को सदा ईनाम से पहले//

बने आजाद परवाने कफ़न को सिर पे बांधा था 
वतन पर जान देते थे किसी अंजाम से पहले //

भुला सकते न कुर्बानी वतन पर मर मिटे हैं जो
ज़माना सर झुकाएगा खुदा के नाम से पहले//

शहादत व्यर्थ यूँ उनकी नहीं अब हो सके ऐसे 
नसीहत मानना उनकी किसी कुहराम से पहले//

वफ़ा कैसे निभानी सीखलो अपने वतन से तुम 
सुनाई शंख देता है यहाँ शुभ काम से पहले //

सनम जो देश को समझो तभी नजरे इनायत हो 
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले //
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