हमराही

सुस्वागतम ! अपना बहुमूल्य समय निकाल कर अपनी राय अवश्य रखें पक्ष में या विपक्ष में ,धन्यवाद !!!!

Wednesday, October 30, 2013

तुम मेरे बुद्दु ,मैं हूँ तेरी पागल

जब बिन बोले तुम जाते हो
हमें याद बहुत तुम आते हो|

तुम मेरे बुद्दु ,मैं हूँ तेरी पागल
मैं बहती नदी तुम उड़ते बादल|

कैसे मिलन हो बोलो मेरा तेरा
तुम जब बरसो तो चलना हो मेरा|

जब मैं सूखुं तुम पानी से भर जाओ
पानी बरसाकर ,तर मोहे कर जाओ|

कैसे है हमने प्यार किया
चातक के जैसे तरसे जिया||
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Tuesday, October 29, 2013

मुक्तक

जो कह ना सके,वो समझ लो जाना
जाने फिर कब हो तुम्हारा यूँ आना
दिल के आगे तो  झुकना ही पड़ेगा
हम नही रोकें तो खुद ही रुक जाना  
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Sunday, October 27, 2013

रावण [ कुण्डलिया ]

रावण अंतस में जगा ,करता ताण्डव नृत्य 
दमन करें इसका अगर फैले नहीं कुकृत्य/

फैले नहीं कुकृत्य ,सख्त कानून बनायें
पूजनीय हो नार,इसे सम्मान दिलायें 
करना ऐसे काम ,धरा हो जाए पावन 
अंतरमन हो शुद्ध, नहीं हो पैदा रावण //

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Saturday, October 26, 2013

अहोई व्रत [ दोहे ]

कृष्ण पक्ष की अष्टमी, अहोई व्रत रिवाज 
बच्चों की दीर्घायु की,करें कामना आज /

लोटा रख जल से भरा, कथा सुनें सब लोग 
होई माँ को पूजते ,दूध भात का भोग /

सांझ ढले तारा दिखे, अर्घ्य दे व्रत खोल 
माँ की ममता धन्य है,रहे सदा अनमोल /

करो मात को तुम नमन, ममता में बेजोड़
रक्षा का संतान की, वर मांगे कर जोड़ / 

करें परम्परा अपनी,अपने करो रिवाज  
करते मंगलकामना ,होई व्रत की आज /
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Friday, October 25, 2013

क्षणिकाएं

ख्वाबों में आकर फिर से,अरमान जगा गया कोई
कभी अपना था अब किसी का है,यह बता गया कोई/

संग बैठे थे कभी गाये थे मिलकर प्रीत के गीत
सब सुंदर जग सुहाना था ,जब तुम थे मेरे मीत/

कभी आँचल में तेरे गुज़ारे थे हमने दिन और रात
आज भी है खुश्बू का अहसास,तब मीठी थी हर बात/
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Wednesday, October 23, 2013

मैया [कुण्डलियाँ]

मैया दस्तक दे रही ,खोलो मन के द्वार
मात कृपा से हो सदा ,हर सपना साकार //
हर सपना साकार ,द्वार पे जा कर कर लो
देती माँ आशीष , झोलियाँ खाली भर लो
सरिता करे पुकार ,तार माँ सबकी नैया
दे दर्शन चढ़ शेर ,सदा जगदम्बे मैया//

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तेरे दर पर हूँ खड़ी,नतमस्तक कर जोड़
सर पर रखना हाथ माँ, दुख जाएँ दर छोड़
दुख जाएँ दर छोड़ ,फलित हो जाये सपना
रहे न पारावार दो आशीष माँ अपना
भेंट करो स्वीकार, लगाती कब से फेरे
दर्शन देदो मात ,खड़ी मैं दर पर तेरे //

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Tuesday, October 22, 2013

करवाचौथ दोहे

आये कार्तिक माह में ,कृष्ण पक्ष की चौथ
व्रत निर्जला सुहागिनें , करतीं करवाचौथ /

दिन है यह सौभाग्य का, कमी न रखना शेष
कर सोलह श्रृंगार लो, करवाचौथ विशेष /  

सब पति की दीर्घायु का,करती हैं उपवास 
प्रतीक्षा चंद्रोदय की ,इस दिन होती ख़ास /

शुरू हो सूर्योदय से, चाँद देखके पूर्ण 
श्रद्धा और उत्साह से , करती हैं संपूर्ण /

चंद्रोदय के बाद ही ,मिलता है संयोग 
अर्घ्य दे सभी चाँद को ,उसे लगाती भोग /

निर्जल व्रत है चौथ का , करे सुहागिन नार 
जल पिए बाद अर्घ्य के , कर सोलह श्रृंगार //
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Sunday, October 20, 2013

दिलों के जख्म सीले हैं

दिले नादाँ  पिया आना 
गिले शिकवे मिटा जाना
दिलों के जख्म सीले हैं 
उन्हें मरहम लगा जाना /

सनम यह बेरुखी क्यों है ?
जरा आकर बता जाना /


सनम मुझसे खफा क्यों हो ?
वो हाले दिल सुना जाना /

नहीं तकरार करना अब 
करें इज़हार आ जाना /

अभी मजबूरियां क्या हैं ?
कहे सरिता बता जाना //

Saturday, October 19, 2013

शरद पूर्णिमा दोहे

शरदचन्द्र बरसा रहा ,अमृत चाँदनी आज
धवल केश लहरा रही, धरा पहनकर ताज ।।

शरदपूर्णिमा रात है, जैसे खिली कपास
सागर चंदा खेलते ,आज डांडिया रास ।।

रासोत्सव ले आ गया,शरद चाँदनी रात 
साजन से सजनी मिली,पाकर यह सौगात ।।

शरदोत्सव ले आ गया ,आश्विन कार्तिक मास 
शरद पूर्णिमा रात में ,मन छाया उल्लास ।।

शरदपूर्णिमा दे गई ,आकर यह सन्देश 
शारदीय ऋतु आ गई ,धर बसंत का वेश ।।
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Thursday, October 17, 2013

मैं और मेरी तन्हाई

मैं और मेरी तन्हाई
अक्सर ढूँढते हैं
उस अक्स को
जिसमें
वजूद मेरा खो गया
मुझे अपने में समेटकर
शायद
वो भी तन्हा हो गया

दुनिया के मेले में
लोगों के रेले में
मुझे छोड़ अकेले में
रहेगा वो झमेले में

तब
समझेगा वो तन्हाई को
रिश्ते की गहराई को
फिर ढूंढेगा मेरी परछाई को

क्योंकि
जो बिन बाँधे जुड़ जाते हैं
वो रिश्ते खास कहलाते हैं
इसीलिए जाए आजमाते हैं
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Tuesday, October 15, 2013

हम अधूरे एक दूजे बिन ओ पिया

2 1 2 2   2 1 2 2   2 2 1 2
मैं तुम्हारी छाया तुम हो मेरे पिया 
अब कहीं लागे न तुम बिन यह जिया

आसमाँ से है उँचा,सागर से गहन
ऐसा सच्चा प्यार हमने तुमको किया

चाँद तुम मेरे अगर, मैं हूँ चाँदनी
ऐसा है अपना मिलन ओ रे पिया

आइना तुम हो अगर मैं तस्वीर हूँ
अक्स तुझमें मेरा ही दिखता है पिया

तुम अगर दीया तुम्हारी 'बाती' हूँ मैं
हम अधूरे एक दूजे बिन ओ पिया

मैं समाई सिन्धु में जैसे है लहर
एक ऐसा अपना संगम है ओ पिया!!
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Monday, October 14, 2013

तुम जीवन का आधार प्रिय

तुम अमर बेल सी लिपटी हो
मैं हरा पेड़ फलदार प्रिय/

तुम बिन लगता बैरागी सा 
तुम लाई स्वर्ण बहार प्रिय/

संग सारी उमरिया चलना है 
तुम पर सब दूँ मैं वार प्रिय/

तुम मेरी धड़कन मैं दिल तेरा
तुम पे जीवन निसार प्रिय/

मैं दिया अगर हूँ बाती का 
तुम दिए में तेल की धार प्रिय/

तुम सरिता हो मैं सागर हूँ 
तुमसे पाता जलधार प्रिय/

तुम माउस हो मैं लैप्पी हूँ 
तुम बिन चलना दुश्वार प्रिय/

तुम सिम कार्ड मैं स्मार्ट फ़ोन 
तुम जीवन का आधार प्रिय/

तुम मायके जाकर बैठ गई 
तुम बिन जीवन बेकार प्रिय/

न कपडें धुलें न चूल्हा जले
तुम बिन सूना घर द्वार प्रिय/

तुम शमा अगर मैं परवाना
मैं मिटने को बेकरार प्रिय/
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Sunday, October 13, 2013

रामलीला तब और अब

बचपन की रामलीला में
वो दूर
पैदल चल कर जाना
वो गुलाबी ठंड का
शुरू हो जाना
हल्की शाल,हल्की स्वेटर
पहन जाना
वो बैठने का पटरा,
वो पानी की बोतल
वो बैठने का टाट
घर से ले जाना
पीछे माइक से
संवाद बोले जाना
स्टेज पर यूँ दृश्य दिखाना
हर दृश्य से पहले
किसी का नाच दिखाना
कभी चुटकले सुनाना,
कभी कविता सुनाना
कलाकार का
एक एक रुपये का इनाम पाना

आज की रामलीला का
हाइटेक हो जाना
हवा में हनुमान का
उड़कर जाना
हर दृश्य के बाद
यूँ दृश्य दिखाना
स्लाइड शो जैसे
रामलीला चलाना
डबिंग किये संवादों पर
बस होंठ हिलाना
बैठने के सोफे,
स्टॉल्स का लग जाना
अब रामलीला देखने
गाड़ी से जाना
वो मेले वो झूलों का
यूँ सज जाना
कुर्सी पर बैठना,
वो सब ख़रीदकर खाना
रामलीला पर
लाखों लगाना
याद करा गया
आज मंहगाई का
इतना बढ़ जाना
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विजयदशमी की शुभकामनाएँ

परम्पराएँ न निभाओ यारो
अब रावण न जलाओ यारो 

पर स्त्री पर नज़र जो डाली
उसको अच्छा सबक सिखाया 
उसकी एक बुराई लेकर ,
अब तक उसको खूब जलाया
विद्द्वान पंडित की दुर्दशा कर,
बच्चों को न कुछ भी सिखाया
राम ने लक्ष्मण को भेजक़र
रावण से थी सीख दिलाई 
ऐसे विद्वानों से सीख लो 
बुराई का फल बुरा हुआ है 
अपनेआप को जीत लो पहले
फिर किसी को हराओ यारो 

परम्पराएँ न निभाओ यारो 
अब रावण न जलाओ यारो

रावण जैसे मंहगाई बढ़ गई 
भ्रष्टाचार,कालाबाज़ारी
और धोखाधड़ी आम हो गई 
अंदर है जो कुंभकर्ण सोया 
नींद से उसको जगाकर 
अब तो सरकार हटाओ यारो 
पहले जिसने पाप न किया हो 
वोही पुतला जलाओ यारो 

परम्पराएँ न निभाओ यारो 
अब रावण न जलाओ यार

गली गली जो रावण बैठा
नेता रावण पंडित रावण 
फिर कैसा रावण दहन ? 
इनको अच्छा सबक सिखाकर 
कानून की जो धज्जियाँ उड़ायें 
उनको सही रास्ते लाकर 
बलात्कार,भ्रूणहत्या के जहर से 
माँओं बहनों को बचाकर 
परिवार समाज बचाओ यारो 

परम्पराएँ न निभाओ यारो 
अब रावण न जलाओ यारो

पुरानी परम्पराएँ तोड़कर 
नया सवेरा फिर से लाकर 
स्नेह से परिवार को सींचों 
अब न तुम रेखाएं खींचो 
दूसरों पर आरोप से पहले 
दस बुराइयाँ मार कर अपनी
दशावतार जगायो यारो   

परम्पराएँ न निभाओ यारो 
अब रावण न जलाओ यारो
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Saturday, October 12, 2013

मैया दोहे

उजली उजली भोर से ,चित छाया उल्लास 
वंदन करती मात मैं ,हृदय बनाओ वास //

सारा ही संसार है ,शरणागत हो जाय
नमन करूँ मैं मात को, खुशियाँ आँगन लाय// 

हम हैं अम्बे मात के ,निज चरणों की धूल 
आओ मिलकर मात को ,भेंट चढ़ाएं फूल// 

मैया के नवरात्र में, सजे हुए दरबार
मैया के दरबार की, महिमा अपरमपार //

दर पर आकर मात मैं, तुझे सुनाऊँ टेर 
शक्ति स्वरूपा कालिका,दे दर्शन चढ़ शेर //

दर पर तेरे हूँ खड़ी , नतमस्तक कर जोड़ 
सर पर रखना हाथ माँ , दुख जाएँ दर छोड़//

नवरात्रों में पूजना , दुर्गा के नौ रूप
अम्बे मैया दुख हरो,अब धर शक्ति स्वरूप //

रंग बिरंगी चुनरियाँ, सजा हुआ दरबार
हर्षित मन मेरा हुआ, पुलकित सब संसार //

मैया के दरबार से, होती शुभ शुरुआत 
दर पर माथा टेक लो, दिन हो चाहे रात /

नमन करे हर रोज जो ,मैया लेती थाम 
बन जाते हैं आपके, बिगड़े सारे काम / 
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Wednesday, October 9, 2013

पुत्र के जन्मदिवस पर शुभकामनाएं


पुत्र रत्न मिल जो गया , खुशियाँ छाई धाम 
पुलकित था मन आंगना, अभिषेक रखा नाम /

तारे सबकी आँख के, पाया सबसे प्यार 
दादा के तुम लाड़ले, तुम पर सभी निसार /

लेकर आशीर्वाद तू , करना सतत प्रयास 
मिलता मनचाहा अगर मन में हो विश्वास /

शुभकर्मों के साथ ही दिन का हो आगाज 
जन्मदिवस पर आपके, करें दुआएं आज  /

देते आशीर्वाद हैं , रखना नेक विचार   
खुशियां ही छाई रहें , मिले हमेशा प्यार  // 
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तस्वीरों के लिए 

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Tuesday, October 8, 2013

औरत

हर बार तुम्हे संभाला है
एक औरत ने ही पाला है

माँ की ममता से तुम्हे
है सँवारा
तेरा नटखटपन लगे
उसे प्यारा

बचपन में उंगली पकड़ के
चलना सिखाया
बहन बन अपना प्यारा
रिश्ता निभाया

दोस्त बन तुम्हें ऐसा
कांधा दिया
जिस पर जब दिल चाहा
तुमने रो दिया

प्रेयसी बन दुनिया में
जन्नत दिखा दी
तेरे जीवन की हर
मन्नत मना दी

अर्धांगिनी बन अपना
फर्ज़ यूँ निभाया
हर दुख सुख में तेरा
साथ निभाया

फिर भी.....
हर मोड़ पर नर ने
उसको धिक्कारा
आखिरी सांसों में तूने
उसको ही पुकारा

समय है निभा दो 
तुम अपना फर्ज 
उतार न सकोगे 
उसका कभी कर्ज

अगर थोडा प्यार 
उसको तुम दोगे
स्नेह,आशीष से 
दामन भर लोगे ||

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Sunday, October 6, 2013

सुनाई शंख देता है यहाँ शुभ काम से पहले

1 2 2 2  1 2 2 2  1 2 2 2  1 2 2  2

चढा दी हसरतें सूली किसी पैगाम से पहले//
नमन है उन शहीदों को सदा ईनाम से पहले//

बने आजाद परवाने कफ़न को सिर पे बांधा था 
वतन पर जान देते थे किसी अंजाम से पहले //

भुला सकते न कुर्बानी वतन पर मर मिटे हैं जो
ज़माना सर झुकाएगा खुदा के नाम से पहले//

शहादत व्यर्थ यूँ उनकी नहीं अब हो सके ऐसे 
नसीहत मानना उनकी किसी कुहराम से पहले//

वफ़ा कैसे निभानी सीखलो अपने वतन से तुम 
सुनाई शंख देता है यहाँ शुभ काम से पहले //

सनम जो देश को समझो तभी नजरे इनायत हो 
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले //